टीबी एवं कुष्ट मुक्त समाज के लिए “निक्षय निरामया अभियान” के तहत, पंडरिया के महाविद्यालय मे स्वास्थ्य शिविर का आयोजन

पंडरिया, कबीरधाम :- स्वास्थ्य सेवाओं को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने और टीबी (क्षय रोग) उन्मूलन के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए “निक्षय निरामया अभियान” की शुरुआत पूरे जिले में उत्साहपूर्वक की गई है। यह महत्वाकांक्षी अभियान 100 दिनों तक चलने वाला है, जिसमें टीबी की रोकथाम, पहचान और उपचार के साथ-साथ अन्य स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बी एल राज के निर्देशानुसार तथा पंडरिया की बीएमओ डॉ. अनामिका पटेल के कुशल नेतृत्व में आज इंदिरा गांधी शासकीय महाविद्यालय, पंडरिया में एक विशेष स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में चिरायु दल ने 158 विद्यार्थियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जिसमे 39 लोगो का एच.बी., तथा 39 लोगो का सिकल सेल जाँच किया गया जिसमे एक व्यक्ति का सिकल सेल पॉजिटिव पाया गया, जिन्हे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंडरिया जाने का परामर्श दिया गया । इन सभी उपस्थित बच्चों को टीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य जागरूकता और निक्षय निरामया अभियान की विस्तृत जानकारी दी।
निक्षय निरामया अभियान: उद्देश्य और महत्व निक्षय निरामया अभियान का मुख्य उद्देश्य टीबी और कुष्ट जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से समाप्त करना है। इस अभियान के तहत हर व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए सामुदायिक स्तर पर व्यापक सर्वेक्षण और जांच की जाएगी। अभियान में टीबी एवं कुष्ट के लक्षणों की पहचान, समय पर निदान, नि:शुल्क दवा और देखभाल का विशेष ध्यान रखा जाएगा। इसके अलावा, टीबी से पीड़ित व्यक्तियों को पोषण सहायता और उचित परामर्श भी दिया जाएगा।
टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो सही जानकारी और उपचार से पूरी तरह ठीक हो सकती है। यह अभियान आम नागरिकों के बीच इस जागरूकता को बढ़ाने के लिए चलाया जा रहा है।
पंडरिया में स्वास्थ्य सेवाओं का हर घर तक विस्तार
पंडरिया ब्लॉक में स्वास्थ्य सुविधाओं को हर घर तक पहुंचाने के लिए एक सशक्त नेटवर्क तैयार किया गया है। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों के माध्यम से जन-जन तक सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं।
टीबी उन्मूलन अभियान में विशेष टीमों द्वारा डोर-टू-डोर सर्वे किया जा रहा है, जहां स्वास्थ्य कर्मी संभावित मरीजों की पहचान कर उन्हें जांच और उपचार के लिए प्रेरित करते हैं। स्थानीय आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा दीदी और एएनएम का भी इसमें अहम योगदान है। वे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान करने और टीबी, कुष्ट से बचाव के उपाय बताने में सहायक हैं।
शिविर में मिली स्वास्थ्य जानकारी और सेवाएं
आज के शिविर में उपस्थित बच्चों का स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य परिक्षण किया गया एवं बच्चो को टीबी के लक्षण जैसे कि लगातार खांसी, बुखार, वजन कम होना और थकान के बारे में जानकारी दी गई। उन्हें यह भी बताया गया कि टीबी का उपचार मुफ्त है और इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, बशर्ते मरीज दवाओं का पूरा कोर्स समय पर पूरा करें।
स्वास्थ्य शिविर में सेवा देने वाले में एसटीएलएस श्री जेम्स जॉन, डॉ. दीपक धुर्वे,जिला एसीएफ कॉर्डिंनेटर परमेश्वर यादव,फार्मासिस्ट, विनिष जॉय,विनोद चन्द्रवंशी, एएनएम कुमारीन मरकाम और एमएलटी वेद चंद्राकर शामिल थे। विद्यालय स्तर से प्राचार्य मधुसूदन सिंह राजपूत
दिनेश कश्यप, ओम प्रकाश देवांगन, चित्रसेन ठाकुर, भोला राम धृतलहरे, सुनील बंजारे, मधुरीरत्न भास्कर, शिवराम कृष्णा, लीनाक्षी बंजारा उपस्थित रहे।इन सभी ने बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के साथ-साथ उन्हें सही पोषण और स्वच्छता के महत्व के बारे में भी बताया।
टीबी मुक्त समाज के निर्माण की अपील
डॉ. अनामिका पटेल ने कहा, “निक्षय निरामया अभियान टीबी और कुष्ट मुक्त समाज बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। हर व्यक्ति को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना चाहिए और अपने परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। समय पर जांच और उपचार से टीबी को पूरी तरह से हराया जा सकता है।” उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे ऐसे स्वास्थ्य शिविरों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और अभियान के उद्देश्य को सफल बनाएं।
निक्षय निरामया अभियान एक व्यापक और दूरगामी पहल है, जिसका लक्ष्य टीबी और कुष्ट जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से खत्म करना है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग के इस प्रयास में जनसहयोग की अहम भूमिका होगी। पंडरिया के इस स्वास्थ्य शिविर ने न केवल जागरूकता फैलाई, बल्कि लोगों को यह भी सिखाया कि किस प्रकार से स्वास्थ्य सेवाएं हर व्यक्ति तक पहुंचाई जा रही हैं। अब यह जिम्मेदारी नागरिकों की है कि वे इस पहल का समर्थन करें और स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान दें।

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