
चीफ इंजीनियर बघेल ने शुरू की लोक निर्माण विभाग में भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला, साय के सुशासन पर प्रहार
रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के लोक निर्माण विभाग के दुर्ग मंडल के चीफ इंजीनियर श्री बघेल ने विभाग में भ्रष्टाचार की नई प्रयोगशाला शुरू कर दी है। इस प्रयोगशाला में सड़कों के निर्माण में प्रयुक्त मटेरियल्स की जांच के बहाने ठेकेदारों को प्रताड़ित करने और उनसे उगाही करने का खुला खेल चल रहा है। चीफ इंजीनियर बघेल द्वारा विष्णु देव साय सरकार के सुशासन का गला घोंटने और सरकार की साख पर बट्टा लगाने का काम किया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली और भ्रष्टाचार के मामले गाहे बगाहे सामने आते ही रहते हैं। काली कमाई के दम पर विभाग के अनेक अधिकारी करोड़पति, अरबपति बन चुके हैं। केंद्र और राज्य सरकार से मिलने वाले बेहिसाब फंड ने अफसरों को मालामाल बना दिया है। सड़क भवनों आदि के निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार चल रहा है। अब पीडब्ल्यूडी के दुर्ग मंडल में पदस्थ चीफ इंजीनियर श्री बघेल ने अवैध कमाई बढ़ाने के लिए एक नई प्रयोगशाला शुरू कर दी है। इस प्रयोगशाला की आड़ में ठेकेदारों से जमकर उगाही की जा रही है। ऎसी ही एक प्रयोगशाला लोक निर्माण विभाग के दुर्ग मंडल में खोली गई है। लोक निर्माण विभाग मंडल कार्यालय दुर्ग परिसर में स्थित इस केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला में अवैध कमाई के तरीके ईजाद किए जाते हैं। दुर्ग मंडल के अंतर्गत सड़क और अन्य निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार इस विभागीय प्रयोगशाला की कार्यप्रणाली से खासे परेशान हैं। चीफ इंजीनियर ने इस प्रयोगशाला का इंचार्ज सब इंजीनियर नर्मदा रामटेके को बना रखा है। चीफ इंजीनियर ठेकेदारों को टारगेट बनाकर उनके माध्यम से बनवाई सड़क को खोदकर रिपोर्ट मंगाते हैं। शीर्ष अफसर का हुक्म मिलते ही प्रयोगशाला इंचार्ज तुरंत संबंधित निर्माण स्थल पर पहुंच जाती हैं। वे वहां सड़क खोदकर मटेरियल का सैंपल लेती हैं। इसके बाद जांच के नाम पर ठेकेदार को डराने धमकाने और साहब चीफ इंजीनियर के एक्शन की धौंस दिखाने का खेल शुरू हो जाता है। आखिर में प्रयोगशाला इंचार्ज नर्मदा रामटेके के माध्यम से ही लेनदेन कर मामला सुलझा लिया जाता है। इसके बाद कोई रिपोर्ट नहीं बनती है और सड़क की गुणवत्ता भी सही साबित हो जाती है। भ्रष्टाचार की इस प्रयोगशाला को बेतहाशा कमाई का जरिया बना लिया गया है। या यूं कहें कि अवैध कमाई के लिए ही इस केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की गई है।
साय सुशासन की धज्जियां
विष्णु देव साय सरकार सुशासन और जीरो टॉलरेंस की बात करती है, मगर लोक निर्माण विभाग में न सुशासन की झलक नजर आती है और न जीरो टॉलरेंस का कहीं अता पता है। दुर्ग मंडल के चीफ इंजीनियर सुशासन की धज्जियां उड़ाने और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की स्वच्छ छवि पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दुर्ग मंडल में दर्जनों ठेकेदार विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और ज्यादातर ठेकेदार एक ही खदान से गिट्टी, रेत लेते हैं। डामर सीमेंट भी कमोबेश एक ही कंपनी का इस्तेमाल करते हैं। इसके बावजूद एक सड़क के निर्माण में लगे मटेरियल सही पाए जाते हैं और दूसरे में गुणवत्ता विहीन मिलते हैं। इसीलिए ही इस मंडल में कार्यरत ठेकेदार इसे भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला कहने लगे हैं। प्रयोगशाला में जांच के बहाने ठेकेदारों को विभागीय अधिकारियों के सामने दंडवत होने के लिए मजबूर कर दिया जाता है, उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। प्रयोगशाला इंचार्ज नर्मदा रामटेके के तकनीकी ज्ञान पर भी सवाल उठ रहा है। नर्मदा रामटेके पीडब्ल्यूडी में एक सब इंजीनियर मात्र हैं और उन्हें प्रयोगशाला इंचार्ज बना दिया गया है। जबकि निर्माण कार्यों से जुड़े विभाग की प्रयोगशाला में मेटल साइंस के ज्ञाता इंजीनियर को इंचार्ज बनाया जाना चाहिए। दूसरा सवाल यह भी है कि जब लोक निर्माण विभाग नवनिर्मित सड़कों के पांच साल तक रख रखाव का जिम्मा भी ठेकेदारों को देता है और ठेकेदार भी यह जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं, तो फिर पांच साल की अवधि के बीच में ही ठेकेदारों को गुणवत्ता जांच के नाम पर परेशान क्यों किया जाता है? जाहिर सी बात है सिर्फ वसूली ही चीफ इंजीनियर का ध्येय रहता है। विष्णु देव साय सरकार को ऐसे अधिकारी पर लगाम लगाकर अपनी सुशासन वाली छवि को दागदार होने से बचाना होगा।