आजादी के 76 साल बाद भी नहीं मिल पाई नलपावंड के ग्रामीणों को जल संकट से आजादी

अर्जुन झा-
बकावंड। हमारे भारत देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए भले ही 76 साल से भी ज्यादा लंबा अरसा गुजर चुका है, मगर आजाद भारत के कई गांव आज भी जल संकट की गुलामी से आजाद नहीं हो पाए हैं। इन्ही बदनसीब गांवों में शुमार है ग्राम नलपावंड। यहां न नल है न जल। ग्रामीण पानी के लिए बड़ी त्रासदी के दौर से गुजर रहे हैं।
बस्तर जिले की बकावंड जनपद पंचायत के अधीन ग्राम पंचायत नलपावंड के कई मोहल्ले आज भी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। खासकर इस पंचायत के नाकापारा, तल सुंडीपारा और पटेल पारा के ग्रामीणों को इस भीषण गर्मी में पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण बलराम बिसाई, लुदर सिंह सेठिया, लिमीबती सेठिया, दयादान सेठिया, गणेश नाग समेत कई लोगों ने ग्राम पंचायत सचिव से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। बड़ी आबादी वाली इन बस्तियों के लोगों को नल जल योजना का लाभ मिलना बंद हो गया है। ग्राम पंचायत नलपावंड की आबादी करीब 1200 है और इसमें चार बड़ी बस्तियां नलपावंड पुजारी पारा, पटेल पारा, आवास प्लाट पारा और नाकापारा शामिल हैं। इनमें से नाकापारा, तल सुंडीपारा और पटेल पारा के लोग हर साल पानी के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। ग्राम पंचायत द्वारा नल जल योजना के तहत निजी भूमि पर बोर करा कर पानी की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन जब पंचायत और ज़मीन मालिक के बीच विवाद हो जाने के बाद से पानी की सप्लाई बंद कर दी गई है। इस कारण ग्रामीणों को पीने और निस्तार के पानी के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है।

प्रशासन है बेपरवाह
ग्रामीणों का कहना है कि हर चुनाव में नेताओं द्वारा वादे तो किए जाते हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं होता। अधिकारियों के समक्ष कई बार शिकायत की गई, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। उड़ीसा राज्य की सीमा से लगे होने के कारण नलपावंड में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और दूसरे विभागों के अधिकारियों तथा जनप्रतिनिधियों का बहुत ही कम आना-जाना होता है, जिससे समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।अगर जल्द ही समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करने कर लिए मजबूर हो जाएंगे।

पीएचई में करें शिकायत
मामला पीएचई विभाग से जुड़ा है, ग्रामीणों को पीएचई के अधिकारियों से शिकायत करनी चाहिए, हम भी अपने स्तर पर समस्या के समाधान के लिए जरूर प्रयास करेंगे।
पारेश्वर कुर्रे,
सीईओ, जनपद पंचायत बकावंड

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