आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव में मनरेगाकर्मी_ एच आर पॉलिसी की है मांग

बीजापुर :- छत्तीसगढ़ में पिछली कांग्रेस सरकार में महात्मा गांधी नरेगा योजना में कार्यरत कर्मचारियों का आंदोलन अखबार की सुर्खियों में रहा। बीजेपी की सरकार बनने के बाद इन कर्मचारियों को इस सरकार से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन अब उनके सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा है। बीते एक साल में ये कर्मचारी मानव संसाधन लागू कराने संघर्ष करते रहे। कमेटी बनी किंतु निर्णय नहीं आ पाया इसके विपरीत कर्मचारियों पर पी एम आवास , एस बी एम के अलावा अन्य कार्य लिए जा रहे है और तो और इन्हें विगत 4 माह से वेतन भी नहीं दिया गया है। इन आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के कारण महासंघ के आह्वान पर मनरेगा कर्मचारियों ने कलेक्टर श्री संबित मिश्रा को 4 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है। कलेक्टर श्री संबित मिश्रा ने इनके वेतन भुगतान से संबंधित यथासंभव प्रयास करने का भरोसा दिलाया है।
4 सूत्रीय मांग क्रमशः 1. नियमितीकरण की प्रक्रिया पूर्ण होने तक मनरेगा कर्मियों के सेवा एवं सामाजिक सुरक्षा हेतु मानव संसाधन नीति तत्काल लागू किया जावे। 2. पूर्व में किये गये हड़ताल अवधि का वेतन / मानदेय तत्त्काल प्रदान करें। 3. विगत 03/05 माह से लंबित वेतन / मानदेय का तत्काल भुगतान किया जावे।4. मनरेगा कर्मियों से केन्द्र व राज्य भासन के निर्देशानुसार महात्मा गांधी नरेगा योजना के अलावा अन्य कोई कार्य न लिया जावे।
1 करोड़ 27 लाख का भुगतान बाधित
वर्तमान में जिले में लगभग 150 कर्मचारी मनरेगा योजना में कार्यरत हैं, जिनका वेतन राशि कुल 1 करोड़ 27 लाख रुपए भुगतान नहीं हो पाया है।
हड़ताल पर जाने की बन रही रणनीति
ज्ञापन में कहा गया है कि जल्द ही मानव संसाधन नीति लागू नहीं करने, पूर्व हड़ताल अवधि / विगत 05 माह से लंबित वेतन/मानदेय का भुगतान न होने तथा महात्मा गांधी नरेगा योजना के अलावा अन्य कोई कार्य कराये जाने पर छत्तीसगढ़ प्रदेश के समस्त 12500 मनरेगा कर्मी हड़ताल पर जाने को मजबूर होंगे।
कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान छत्तीसगढ़ मनरेगा अधिकारी कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष श्री महेंद्र सिंह ठाकुर , जिला जनपद स्तर के पदाधिकारी के अलावा बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मचारी उपस्थित हुए।

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