पांच सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर रहे कर्मचारी



बकावंड :- विकासखंड के समस्त शासकीय कर्मी विभिन्न मांगों को लेकर आज 7 जुलाई को कामबंद हड़ताल पर रहे। कर्मचारी – अधिकारी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले इन हड़ताली कर्मियों ने रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन किया। अंत में तहसीलदार को छ्ग शासन के मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा गया।

विकासखंड में कार्यरत सभी शासकीय विभागों के अधिकारी कर्मचारी पांच सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं। इसकी शुरुआत 7 जुलाई शुक्रवार को काम बंद हड़ताल से की गई। सभी कर्मियों ने लामबंद होकर रैली निकाली और मांगों को लेकर जमकर नारेबाजी की। प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मांगों की ओर शासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया। मुख्य सचिव के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी संगठनों द्वारा समय-समय पर ज्ञापन, धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन के माध्यम से पांच सूत्रीय मांगों पर ध्यानाकृष्ट कराया जाता रहा है, लेकिन शासन द्वारा आज तक मांगों पर कोई निर्णय नहीं लिए जाने के कारण प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। कर्मियों की मांगों में छठवें वेतनमान के आधार पर देय गृह भाड़ा भत्ता को सातवें वेतनमान के आधार पर केंद्रीय दर से पुनरीक्षित करने, राज्य के कर्मचारियों एवं पेंशनरों को केंद्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता देने, कर्मचारियों की मांगो को लेकर गठित पिंगुआ कमेटी एवं सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में वेतन विसंगति हेतु गठित समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने, कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र पर अमल करते हुए राज्य के समस्त कर्मचारियों को चार स्तरीय वेतनमान क्रमश: 8, 16, 24 एवं 30 वर्ष की सेवा अवधि उपरांत करने एवं अनियमित, संविदा एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नियमित करने और पुरानी पेंशन का लाभ दिलाने हेतु प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना कर एवं पूर्ण पेंशन का लाभ देने हेतु अर्हतादायी सेवा 33 वर्ष के स्थान पर 25 वर्ष करने की मांगें शामिल हैं। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा से संबद्ध संगठन छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी महासंघ, छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन कर्मचारी संघ एवं प्रदेश के समस्त कर्मचारी अधिकारी संगठनों ने इन मांगों को लेकर 7 जुलाई को कामबंद आंदोलन किया। चेतावनी दी गई है कि मांगों पर सरकार द्वारा निर्णय न लिए जाने की स्थिति में 1 अगस्त से अनिश्चित कालीन आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

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