सुशासन का एक साल, 28 बंद पड़े स्कूलों का हुआ पुनः संचालन
बीजापुर :- जिला प्रशासन की अभिनव पहल स्कूल चले अभियान के फलस्वरूप सरकार के गठन के एक वर्ष के भीतर जिले में 28 पुनः संचालित शालाओं में 962 नये विद्यार्थियों ने प्रवेश लेकर शिक्षा की मुख्यधारा को अपनाया है। इन स्कूलों में 12 स्कूल अतिसंवेदनशील माओवाद ग्रसित इलाकों के हैं जहाँ 20 सालों से स्कूल की गतिविधियां पूरी तरह से बंद थी। इन इलाकों में स्कूल खोलकर जिला प्रशासन ने स्थानीय बेरोजगारों को शिक्षादूत के रूप में नियुक्ति कर नई शुरुआत की है तथा बच्चों को बुनियादी सुविधाओं के साथ शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराई है।
कलेक्टर संबित मिश्रा एवं सीईओ जिला पंचायत हेमंत नंदनवार के प्रयासो से बीजापुर के अंदरूनी गांव में अब विकास की बयार और शिक्षा की किरण पहुंचने लगी है। कावडगांव, मुदवेन्डी, डुमरीपालनार, हिरोली, हिरामगुण्डा, कुरूष, ईसुलनार जैसे गांव में अब गोलियों की गुंज और बारूद के धमाके की दहशत को तोड़कर क, ख, ग, घ की आवाज सुनाई देने लगी है। स्कूल की घंटी बजते ही आकर्षक वेशभूषा में स्कूल की ओर दौड़ते बच्चें बदलते बीजापुर की कहानी गढ़ रहे हैं। चालू शिक्षा सत्र में स्कूल चले अभियान के तहत जिले में 28 बंद स्कूलों को पुन संचालित कर 962 बच्चों को स्कूल से जोड़ने में जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग सफल हुआ है। इन स्कूलों में नये भवन निर्माण की कार्यवाही प्रारंभ की गई है जो आगामी शिक्षा सत्र के पूर्व बच्चों के लिए सुलभ हो जायेगी।
शिक्षा में गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन की नई पहल निपुण बीजापुर को विद्यार्थियों के बीच काफी समर्थन मिल रहा है। निपुण बीजापुर कार्यक्रम से गांव-गांव के स्कूलों में गीत, कविताओं और खेल-खेल की गतिविधियों के माध्यम से एफएलएन के लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। जिले के 777 प्राथमिक और 201 माध्यमिक शालाओं में निपुण बीजापुर के लिए शिक्षको को प्रशिक्षित कर गतिविधि आधारित बालक केन्द्रीत शिक्षा सभी 96 संकुलों में संचालित की जा रही है। पाठ आधारित गतिविधियों को सहायक शिक्षण सामग्री एवं स्वयं की गतिविधियों से शिक्षक कक्षाओं में आयोजित कर बच्चों को रोचक शिक्षा से जोड़कर बुनियादी दक्षता को विकसित करने कार्य कर रहे है। छोटे-छोटे विडियों क्लिप्स बनाकर शैक्षणिक गतिविधियों को संकुल तथा ब्लॉक स्तर पर प्रसारित कर शैक्षणिक वातावरण को रोचक और आसान बनाते हुए बच्चों का रूझान कक्षाओं की तरफ बढ़ाया गया है। इस कार्यकम से जहां बच्चों के सीखने की उपलब्धि के स्तर में वृद्धि हो रही है वही दर्ज संख्या के अनुपात में औसत उपस्थिति का प्रतिशत बढ़ा है।