
सड़क, बिजली, पानी की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सौंपा मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन, ग्रामीणों ने कहा समस्या का समाधान नही तो फिर वोट भी नही
छोटे कापसी (राजदीप शर्मा) – कोयलीबेड़ा जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत इरिकबट्टा के आश्रित ग्राम बंडा के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित हैं। यहां अब तक न तो पक्की सड़क बन पाई है न ही पानी के लिए समुचित व्यवस्था है। लगातार इन समस्याओं से जूझते गांव के लोगों में अब प्रशासन के प्रति नाराजगी देखी जा रही है, ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते इस बार पक्की,सड़क, बिजली, पानी, आंगनबाड़ी और चिकित्सा की समस्या का समाधान नही हो पाता है तो आने वाले चुनाव में हमारा विरोध सभी दलों को झेलना पड़ेगा । आदिवासी युवा संगठन पखांजुर के सदस्य एवं ग्राम बंडा के ग्रामीणों ने अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, महिला बाल विकास मंत्री, अंतागढ़ विधायक एवं कलेक्टर के नाम शनिवार को पखांजुर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा ।

जरूरत पड़ने पर नहीं पहुंच पाते संजीवनी और महतारी एक्सप्रेस-
आवेदन देने आए आदिवासी युवा संगठन पखांजुर एवं बंडा ग्राम के ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव तक का पहुंच मार्ग बिल्कुल खस्ताहाल है। सड़क का नामोनिशान ही नहीं है। जरूरत पड़ने पर डॉयल 100,108 एंबुलेंस वाहन गांव तक नही पहुंच पाते हैं। गांव में अगर कोई बीमार होता है तो लोग खाट पर लाद कर मरीज को लगभग 10 किलोमीटर पक्की सड़क तक लाते है और फिर वहां से 10 किलोमीटर और कापसी उप स्वास्थ्य केंद्र ला कर इलाज कराते है। कभी कभी समय पर अस्पताल नही पहुंच पाने की स्थिति में मरीज को जान भी गंवाना पड़ता है । ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग पर जंगल होने की वजह से जंगली जानवरों के डर के कारण दिन में भी दो- से चार लोग एक साथ आना जाना करते है। लेकिन यहां तक पहुंचने का मार्ग कच्चा और जंगली पगडंडी रास्ता होने से लोगों को यहां तक पहुंचने में दिक्कतें होती हैं और चाहकर भी कुछ नही कर सकते।
22 घर है पर सुविधाएं नाममात्र की भी नहीं –
ग्रामीणों ने बताया कि बंडा में लगभग 22 घर है और सभी परिवार के लोग मूलभूत सुविधाएं से वंचित हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि बंडा से उडुमगांव तक सड़क, आंगनबाड़ी, बिजली, पानी की व्यवस्था जल्द शुरू किया जाए। ग्रामीणों ने बताया पीने के पानी के लिए लिये गांव में तीन नल है पर तीनों में आयरनयुक्त पानी आता है जो पीने योग्य नही है। गांव के लोग झरिया का पानी पीने को मजबूर है, इसलिए तत्काल नल-जल योजनांतर्गत पाइप लाइन का विस्तारीकरण करने की मांग भी गई है।
रोड नहीं तो वोट नहीं :-
ज्ञापन देने पहुंचे आदिवासी युवा संगठन अध्यक्ष राजेश नुरूटी का कहना था कि छत्तीसगढ़ राज्य बने दो दशक बीत जाने के बाद भी अब तक गांव के लोग मूलभूत सुविधाएं बिजली,पानी,सड़क एवं चिकित्सा के लिए तरस रहे हैं। वर्षो से इन सुविधाओं के लिए अधिकारियों,जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगाते रहे हैं लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है। इस बात ग्रामीणों ने सामूहिक निर्णय लिया है कि चुनाव से पहले ग्रामीणों की समस्या का समाधान नही हुआ तो तो वोट नहीं का मन बना लिया है। समय रहते उन्हें मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जाती हैं तो वे इस बार शासन प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल देगे।
अंधेरे में लालटेन के सहारे में जिंदगी:-
ग्रामीणों ने बतलाया कि बिजली नही होने से लालटेन के सहारे जीना पड़ता है। रास्ते मे नाले पड़ते है। जिसमे ग्रामीण जुगाड़ से लकड़ी का पुलिया बना कर आना जाना करते है। बता दे कि ग्रामीणो को राशन लेने पैदल या साइकल से इरिकबट्टा आना पड़ता है। ज्ञापन सौंपने के दौरान आदिवासी युवा संगठन पंखाजूर के अध्यक्ष राजेश नुरूटी,राकेश पोटावी,रुकता उसेंडी,सोमा नरेटी,गीता दुग्गा,सुनील सलाम,चबिला,दुग्गा,राजकुमारी कोर्राम,प्रताप दुग्गा,आयतू दुग्गा,हिरेसिंग आँचला,राजेश उसेंडी,अजय कड़ियाम,रमेश नवगो,विक्रम उसेंडी,दिनेश उसेंडी,जानकी पोटाई,जयनाथ पोटाई एवं ग्रामीण जन मौजूद रहे।