कोंडागांव में भी गुल खिला चुके हैं दल्ली राजहरा नगर पालिका के सीएमओ भूपेंद्र वाडेकर

अर्जुन झा-
दल्ली राजहरा। अपनी करतूत से दल्ली राजहरा में विवाद की स्थिति पैदा करने वाले मुख्य नगर पालिका अधिकारी भूपेंद्र वाडेकर का विवादों से पुराना नाता रहा है। कोंडागांव में पदस्थ रहने के दौरान वित्तीय अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिए गए थे। दल्ली राजहरा जैसी संवेदनशील नगर पालिका में वे कब तक टिके रह पाएंगे यह सबसे बड़ा सवाल है।
सीएमओ भूपेंद्र वाडेकर ने ऎसी कारगुजारी कर दिखाई है, जिसके चलते दल्ली राजहरा में सियासी विवाद पैदा हो गया है। यहां अभी नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों ने कामकाज सम्हाला भी नहीं है और सीएमओ ने भाजपा एवं कांग्रेस के बीच लड़ाई शुरू करा दी है। सीएमओ के इस तिकड़म से जनप्रतिनिधियों के बीच मतभेद गहरा गया है और आगे चलकर इसका दुष्परिणाम शहर की जनता को भोगना पड़ सकता है।

दरअसल दल्ली राजहरा नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों का शपथ ग्रहण समारोह 8 मार्च को नगर पालिका प्रशासन द्वारा आयोजित किया गया है। यह कार्यक्रम पूर्णतः शासकीय कार्यक्रम है, मगर मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने इसे लेकर ऎसी शातिराना हरकत कर दिखाई है कि हर कोई हैरान है और सीएमओ की निंदा हो रही है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी भूपेंद्र वाडेकर द्वारा कार्यक्रम के आयोजन को लेकर जो आमंत्रण पत्र छपवाया गया है, उसके मजमून को देखकर लग रहा है कि सीएमओ भूपेंद्र वाडेकर ने जानबूझ कर बड़ा खेल कर दिखाया है। वाडेकर ने सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच बड़ी खाई खोद दी है। निमंत्रण पत्र को देखने से नहीं लगता कि शपथ ग्रहण समारोह शासकीय आयोजन है। इस कार्यक्रम में आम जनता के बजाय सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को समाज सेवी बताते हुए अतिथि बनाया गया है। कांग्रेस नेता रतिराम कोसमा ने शपथ ग्रहण के भाजपाईकरण का आरोप लगाते हुए इसकी कड़ी निंदाकी है। रतिराम कोसमा इस बात को लेकर बेहद नाराज हैं कि केबिनेट मंत्री रह चुकीक्षेत्रीय विधायक श्रीमती अनिला भेड़िया को आमंत्रित नहीं किया गया है। क्षेत्र की वरिष्ठ जनप्रतिनिधि होने के नातेश्रीमती भेड़िया को ससम्मान आमंत्रित किया जाना था। जिला प्रशासन और सीएमओ ने शपथ ग्रहण समारोह का राजनितिकरण कर दिया है।श्री कोसमा का कहना है कि कांग्रेस नेत्री होने के कारण श्रीमती अनिला भेड़िया को नहीं बुलाया गया है। कांग्रेस इस कृत्य का पुरजोर विरोध करती है। शपथ ग्रहण समारोह पर उपजे विवाद को लेकर नगर के लोगों और कांग्रेसियों में चर्चा तेज हो चुकी है कि कांग्रेस का कोई भी पार्षद इस शपथ ग्रहण समारोह में अपनी उपस्थिति नहीं देगा और कांग्रेस के समस्त पार्षद नगर पालिका के सभागार में अलग से शपथ ग्रहण करेंगे। कांग्रेस के जिम्मेदार पदाधिकारियों का कहना कि इस पूर्णतया शासकीय आयोजन में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों को आमंत्रित करना, उन्हें समाज सेवक दर्शाकर अतिथि का दर्जा देना और क्षेत्र की कांग्रेस विधायक अनिला भेड़िया की इस कार्यक्रम में पूरी तरह से अवहेलना करना सीएमओ की फूट डालो और राज करो वाली नीति को उजागर करता है। कांग्रेस के लोग सीएमओ के साथ ही भाजपाइयों की मानसिकता पर भी सवाल उठा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस जनों की कार्यक्रम में उपस्थित की संभावना कम ही है। आम जनता की भी उपस्थिति नगण्य रह सकती है। कुल मिलाकर सीएमओ ने पार्षदों के शपथ ग्रहण समारोह के महत्वपूर्ण आयोजन पूरी तरह एक पार्टी का आयोजन बनाकर रख दिया है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी दोनों दलों को लड़ा कर शहर के विकास में अवरोधक साबित हो सकते हैं। कोई भी सामान्य व्यक्ति शपथ ग्रहण समारोह के आमंत्रण कार्ड को देखकर आसानी से समझ सकता है कि निमंत्रण पत्र सीएमओ की देखरेख में ही छपवाए गए हैं। निमंत्रण पत्र विनीत में मुख्य नगर पालिका अधिकारी लिखा है। सीएमओ भूपेंद्र वाडेकर ने निमंत्रण पत्र को सरकारी चिन्ह के साथ छपवाया है। नीचे विनीत में उनके नाम व पद का भी उल्लेख है। ऐसे में उनके द्वारा निमंत्रण पत्र के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करना उनकी थोथी दलील ही लगती है। निमंत्रण कार्ड फर्जी है तो ऐसा किसके द्वारा किया गया है? अगर सीएमओ को अंधेरे में रखकर ऐसा किया गया है तो क्या सीएमओ ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के समक्ष या फिर पुलिस में इसकी कोई शिकायत दर्ज कराई है? वैसे अपनी करतूत पर जब बवाल मचने लगा तो सीएमओ ने दोष अपर कलेक्टर पर मढ़ने की नाकाम कोशिश की है।शपथ ग्रहण समारोह में प्रदेश के डिप्टी सीएम सहित भाजपा के कई दिग्गज नेता उपस्थित रहेंगे, तो क्या ऐसे में उनको जो आमंत्रण भेजा गया है वह फर्जी है जैसा कि सीएमओ ने अपने स्पष्टीकरण में दिया है। कुल मिलाकर सीएमओ भूपेंद्र वाडेकर ने बालोद जिला प्रशासन को ही कट घरे में खड़े करवा भद्द दिया है। सीएमओ ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि आमंत्रण कार्ड मैंने नहीं छपवाए हैं, इस मामले में मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है हम एडिशनल कलेक्टर के माध्यम से कुछ लोगों को इस समारोह में आमंत्रित कर रहे हैं। वैसे सीएमओ भूपेंद्र वाडेकर से जुड़ा यह कोई पहला विवादित मामला नहीं है। इससे पहले जब वे कोंडागांव में सीएमओ थे, तब उन्हें कलेक्टर ने वित्तीय गड़बड़ी के आरोप में निलंबित कर दिया था। अपने निलंबन के खिलाफ वाडेकर ने कोर्ट से स्थगन प्राप्त कर लिया। जिसके बाद शासन ने उन्हें दल्ली राजहरा में पोस्टिंग दे दी।

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