
बच्चों का भविष्य चमकाने के लिए राशि नहीं और अपना चेहरा चमकाने में भाजपा सरकार ने फूंक डाले 332 करोड़: विनोद तिवारी
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महासचिव विनोद तिवारी ने कहा है कि राज्य की भाजपा सरकार एक तरफ तो स्वामी आत्मानंद स्कूलों को जरूरी सामग्री उपलब्ध कराने के लिए फंड का रोना रो रही है, वहीं दूसरी तरफ अपना चेहरा चमकाने के लिए इस सरकार ने महज 14 माह में 332 करोड़ रुपए फूंक डाले हैं।
कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ने कहा है कि विधानसभा बजट सत्र में कांग्रेस विधायक
द्वारिकाधीश यादव के प्रश्न के लिखित उत्तर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जो जानकारी दी है, उसके अनुसार जनसंपर्क विभाग ने 14 माह में 332 करोड़ खर्च किए हैं। यह विभाग सीएम के पास ही है। बजट का रोना रोने वाली सरकार ने अपना चेहरा चमकाने अरबों रुपए पानी की तरह बहा दिया है। अति आवश्यक जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसे देने में इनका कलेजा फटता है। श्री तिवारी ने कहा है कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार ने आत्मानंद स्कूल खोलकर मध्यम और गरीब परिवार के पालकों के लिए बड़ी सुविधाउपलब्ध कराई थी। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनते ही सबसे पहले आत्मानंद स्कूलों का नाम बदला गया फिर आत्मानंद स्कूलों को फंड देना बंद कर दिया गया। अपना चेहरा चमकाने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 14 माह में 332 करोड़ खर्च किए गए वहीं आत्मानंद स्कूल में चाक, डस्टर खरीदी के लिए सरकार के पास पैसा न होना बहुत आश्चर्यजनक है। जबकि आत्मानंद स्कूल मध्यम और गरीब परिवार के छात्रो के लिये वरदान साबित हुए हैं। आत्मानंद स्कूल के परिमाण भी बहुत अच्छे आए हैं, साथ अन्य गतिविधियों में भी आत्मानंद स्कूलों के छात्र छात्राओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और सफल हुए। आत्मानंद स्कूल प्रारंभ होने के बाद पालक अपने बच्चो को प्राइवेट स्कूलों से निकाल कर आत्मानंद स्कूलों में एडमिशन करवाने लगे थे क्योंकि आत्मानंद स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर एवं निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान था। वहीं प्राइवेट स्कूल गरीब मध्यम वर्गीय परिवारों के बजट से बाहर हुआ करते हैं। जिस वजह से पालकों को आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ता है। कांग्रेस नेता विनोद तिवारी ne कहा है कि आत्मानंद स्कूल 2 साल से उधारी के दम पर चल रहे हैं क्योंकि सरकार इन स्कूलों को चलाने के लिए फंड नहीं दे रही है। सत्र खत्म होने वाला है पर सरकार की तरफ़ से दी जाने वाली आकस्मिक व्यय निधि की पूरी राशि 5 लाख अभी तक नही मिली है नतीजतन स्कूल प्रबंधन के पास चाक, डस्टर, रजिस्टर, फिनाइल जैसी छोटी एवं अति अवश्यक सामग्री ख़रीदने के लिए भी पैसे नही हैं। पूर्व में स्कूलों को 5-5 लाख रुपए दिए जाते थे वर्तमान में आत्मानंद स्कूलों की स्थिति को जानबूझकर ख़राब किया जा रहा है।