ग्राम पंचायतों में अब नहीं चलेगी किसी भी “एसपी” की दखलंदाजी, मंत्रालय से आया सख्त आदेश

अर्जुन झा-
जगदलपुर। अब वह दिन लद गए जब खलील मियां खूब फाख्ता उड़ाया करते, एसपी के जलवे हुआ करते थे, हर काम में उनका दखल हुआ करता था। अब सारे एस पी साहब रौब गालिब नहीं कर पाएंगे, वे ग्राम पंचायतों के किसी भी काम में दखल नहीं दे पाएंगे। वैसे तो पहले भी यह कृत्य असंवैधानिक था, मगर इस बार कुछ ज्यादा कड़ाई सरकार ने दिखाई है।
छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों में निर्वाचित सभी महिला सरपंच अब खुलकर और पूरी तरह स्वतंत्र होकर अपना कामकाज निपटा पाएंगे, किसी भी एस पी की हिम्मत नहीं होगी कि उनके कामकाज में किसी भी तरह का दखल दें। एसपी यानि पुलिस अधीक्षक इसे अन्यथा न लें, दरअसल हम बात कर रहे हैं उन एसपी की यानि सरपंच पतियों की, जो अपनी पत्नियों की जगह ग्राम पंचायतों के सभी कार्यों में दखल देते रहे हैं।छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक ऐसा आदेश जारी किया है, जो जलवे दिखाने का सपने संजोए बैठे सारे एस पी की नींद उड़ा देने वाला है। केंद्र सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश पर राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य की सभी जिला एवं जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को आदेश दिया है कि ग्राम पंचायतों के कामकाज, कार्य संचालन, पर्यवेक्षण, नियंत्रण, नियोजन आदि में सरपंच पतियों, सगे संबंधियों के हस्तक्षेप पर पूरी तरह अंकुश लगाया जाए। इस आदेश के बाद अब पंचायत परिसरों में इन महाशयों की एक नहीं चलने वाली है, बशर्ते कि शासन के इस आदेश का ईमानदारी से पालन हो। एक दौर था जब सरपंच पति ग्राम पंचायतों में जाकर सरपंच की की कुर्सी पर बैठ जाया करते थे, सारे काम भी वही निपटाया करते थे। महिला सरपंच सिर्फ हस्ताक्षर करने या अंगूठा निशानी लगाने का काम किया करती थीं। ग्रामीण सरपंच पतियों को एसपी साहब कहकर संबोधित करते थे। वे आज भी एसपी साहब कहलाएंगे, मगर उनका जलवा पहले जैसा नहीं रहेगा। महिला सरपंचों एवं पंचों की आड़ में उनके पति अपने हिसाब से ग्राम पंचायतों में काम करवाते थे, जमकर भ्रष्टाचार किया करते थे। नए आदेश के तहत ऐसा करने वाले पतियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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