प्रीति चली मोक्ष की डगर
कवर्धा :- मुमुक्षु प्रीति श्री श्री माल का सकल जैन श्री संघ के तत्वावधान में भाव भीना अभिनंदन किया गया। कवर्धा के धर्मनिष्ट प्रतिष्ठित श्री श्री माल परिवार की बहूरानी प्रीति को धार्मिक संस्कार बाल्यावस्था में ही विरासत में मिले थे। उनके माता-पिता अग्रजा भतीजी नंदोई ने भी संयम अंगीकार कर आत्म कल्याण के मार्ग की ओर अग्रसर हुए हैं।
गुरुवार 6 जनवरी को प्रेमचंद डॉक्टर अतुल श्री श्री माल के निवास से मुमुक्षु प्रीति जी की शोभायात्रा प्रारंभ हुई। इसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। वरघोड़ा जैन स्थानक में पहुंचकर अभिनंदन समारोह में तब्दील हो गया मंगलाचरण के उपरांत बच्चों श्राविकाओं के विभिन्न मंडलों श्री संघों के पदाधिकारियों सदस्यों ने मुमुक्षु के सफल संयम जीवन की कामना करते हुए शुभेच्छा व्यक्त की।
मुमुक्षु प्रीति के ससुर इंजीनियर प्रकाशचंद्र श्री श्रीमाल ने अपनी पुत्रवधू को विनयवान गुणशीला बताते हुए उसके साहसिक निर्णय की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहां की इसी धर्मस्थल में इसकी सगाई की रस्म हुई थी और 21 वर्ष बाद पुनः सांसारिक बंधनों से त्याग का गवाह भी यह जैन संस्थान भवन बन रहा है।
मुमुक्षु प्रीति ने अपने उद्बोधन में कहा कि जन्म दात्री माता पिता तो मेरे बचपन के समय ही जिन शासन में समर्पित हो गए थे मेरे असली माता पिता ये ( ससुर जी एवं सासू मां) ही है इनके लाड प्यार दुलार स्नेह को कभी विस्मृत नहीं कर सकती हूं। कवर्धा का स्थान मेरे लिए किसी देवभूमि से कम नहीं है अपने धर्म सहायक (दिवंगत पति) विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि वे मेरे क्षेत्र मारकर के लिए सदैव प्रसारित करते थे। संभवत वे भी इस मार्ग के राही होते किंतु विधाता ने असम में हमसे उन्हें छीन लिया। उनका परोक्ष आशीर्वाद हमें हैं ही। सभी का आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने मांगलिक प्रदान की। जैन श्री संघ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ ने अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मानित किया।