राष्ट्रमाता घोषित होने के बाद किसी की हिम्मत नहीं होगी गौमाता की ओर आंख उठाकर देखे – स्वामी स्वरूपाचार्य

छग जैसा ही गौमाता की सुरक्षा व संवर्धन पूरे देश में हो

कवर्धा :- जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामस्वरूपाचार्य जी महाराज ने कहा कि गौमाता को राष्ट्रमाता घोषित करना चाहिए। यदि गौमाता राष्ट्रमाता घोषित हो जाती है, तो किसी की हिम्मत नहीं होगी, कि कोई भी हमारी गौमाता की ओर आंख उठाकर भी देख सके।

श्री गणेषपुरम कवर्धा में आयोजित श्रीराम कथा में स्वामी श्री स्वरूपाचार्य जी ने कहा कि धर्माचार्यों ने सहयोग कर गौमाता के सम्मान और संवर्धन के लिए सतत संकल्पित और प्रयत्नषील हैं। इस दिषा में ठोस कदम बढाते हुए 11 जून को दिल्ली में बैठक रखी गई है। उन्होने कहा कि छग में गौमाता की सुरक्षा और संवर्धन के लिए विषेष भावनाएं लोगों में है। सरकार भी इस दिषा में अच्छा प्रयास कर रही है। देष के अन्य राज्यों की अपेक्षा छग में गौमाता के प्रति श्रद्धाभाव, पालन पोषण की अधिकता है। छग की तरह पूरे देष और विष्व में गौमाता का सम्मान और संवर्धन की आवष्यकता है।

स्वामी जी ने कहा कि सनातन धर्म में तुलसी का बहुत अधिक महत्व है। जहां तुलसीदल होता है, वहां संत और भगवान जरूर पहुंचते हैं। उन्होने कहा कि तुलसी के कारण ही हनुमान जी विभीषण के पास पहुंचे थे। पूरी लंका घूम घूमकर देख लिए, लेकिन हनुमान जी को किसी ने प्रभावित नहीं किया। लेेकिन जहां उन्होने तुलसी का पौधा देखा, वहां समझ गए कि यहां जरूर धर्मात्मा का वास है और उनका काम हो जाएगा। पूजा की सामान्य ज्ञान रखने वाली हमारी माताएं तुलसी के साथ भक्तिभाव और अधिक निष्ठा से पूजा करती हैं। वातावरण को षुद्ध करने के लिए तुलसी सबसे अधिक प्रभावषाली है। तुलसी सबसे अधिक सषक्त औषधि है। उन्होने कहा कि तुलसी, गौमाता की दूध, गौमूत्र में कितने ही जटिल और आसाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता है।
इससे पूर्व उन्होने आयोजन की मुक्त कंठ से प्रषंसा करते हुए कहा कि गणेष तिवारी और नेहा तिवारी ने यह आयोजन केवल अपने लिए ही नहीं किया है बल्कि छग और पूरे भारत देष के साथ विष्व कल्याण के लिए किया गया है। यह विष्वनाथ की भूमि है, इसलिए पूरे विष्व की कल्याण की भावना निहित होती है। सनातन धर्म में हमारा जन्म सौभाग्य है और इस धरती पर यह आध्यात्मिक आयोजन में षामिल होना आप सभी लोगों का परम सौभाग्य है।

कथा में स्वामी राजीवलोचन दास जी महाराज, आयोजक गणेश तिवारी, श्रीमती नेहा तिवारी, पतंजलि सेवा समिति के राज्यप्रभारी संजय अग्रवाल,स्वामी नरेंद्र देव, डॉ. सियाराम साहू, लालजी चंद्रवंशी, नितेश अग्रवाल, राजेश शुक्ला,उमेश शर्मा, सुरेश चंद्रवंशी, राजकुमार वर्मा, संतोष पटेल, रामसिंह ठाकुर, दुर्गेश ठाकुर, मनोज गुप्ता, रूपेश जैन, चंद्रप्रकाश चंद्रवंशी, श्रीमती रेखा पाण्डेय, श्रीमती मधु तिवारी, श्रीमती विजयलक्ष्मी तिवारी, श्रीमती गीता तिवारी, शकुन तिवारी, ममता शर्मा, शिवानी, काजल दुबे, संध्या मिश्रा, शकुन पाण्डेय सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु गणों ने कथा का रसास्वादन किया।

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