(सफलता की कहानी)- गौठान में साग-सब्जी एवं मशरूम उत्पादन से मां दन्तेश्वरी महिला समूह की दीदियों को मिला अतिरिक्त आय का जरिया

कोण्डागांव :- राज्य शासन की नरवा-गरवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना ग्रामीण इलाकों की महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। घर-परिवार के कार्यों तथा खेती-किसानी में व्यस्त रहने वाली ग्रामीण महिलाएं अपनी स्व सहायता समूह गठित करने सहित बकरीपालन, कुक्कुटपालन,साग-सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन इत्यादि आयमूलक गतिविधियों को पूरी लगन और मेहनत के साथ संचालित कर आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं। जिले के माकड़ी ब्लॉक अंतर्गत बालोंड गौठान में मां दन्तेश्वरी महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने इसी तरह अपनी कड़ी मेहनत के बूते साग-सब्जी उत्पादन एवं मशरूम उत्पादन कर इसे अतिरिक्त आय का जरिया बना लिया है। इन महिलाओं ने वर्ष 2020 से साग-सब्जी उत्पादन शुरू किया है, वहीं गत वर्ष से मशरूम उत्पादन भी आरंभ किया है। जिससे लगभग 87 हजार रुपये की आमदनी अर्जित किया है।

बालोंड गौठान में अपने आयमूलक गतिविधियों को संचालित करने के बारे में जानकारी देते हुए मां दन्तेश्वरी महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष सुपोती बाई बताती हैं कि गौठान के करीब आधे एकड़ रकबा में खरीफ सीजन के दौरान साग-सब्जी की खेती करने के साथ ही रबी सीजन में भी गौठान के नलकूप का उपयोग कर साग-सब्जी लगाते हैं। अपने साग-सब्जी को स्थानीय बालोंड एवं काटागांव बाजार में विक्रय कर रहे हैं। कई बार स्कूलों में मध्यान्ह भोजन के लिए तथा ग्रामीण भी अपनी जरूरत के अनुसार स्वयं गौठान में आकर सब्जी खरीद कर ले जाते हैं। वहीं मशरूम को भी स्थानीय बाजार में बेच रहे हैं। समूह की एक सदस्य हीरामती दीदी ने बताया कि इस साल रबी सीजन में सब्जी की फसल अच्छी हुई थी लेकिन आकस्मिक बारिश के कारण काफी नुकसान हुआ, फिर भी जो साग-सब्जी बाड़ी में था उसे बेचकर लगभग 5 से 6 हजार रुपये अर्जित किये हैं। अभी वर्तमान में बाड़ी में तरोई और बैंगन बचा है। इस साल मशरूम भी लगभग 22 किलोग्राम विक्रय कर लगभग साढ़े 4 हजार रुपये अर्जित कर चुके हैं और अभी गर्मी के कारण मशरूम को ज्यादा देखरेख करने की जरुरत को देखते हुए इसे घर में रखे हैं।

समूह की दीदी मानबती ने साग-सब्जी तथा मशरूम उत्पादन से हुई आय की राशि को कपड़े एवं घर-परिवार की जरुरत में खर्च करने की बात कहते बताती हैं कि घरेलू कार्यों के साथ ही समूह की आयमूलक गतिविधियों को दो-चार सदस्य महिलाएं बारी-बारी से देखरेख करती हैं, अपनी आयमूलक गतिविधियों से जो आमदनी मिल रही है वह हमारे लिए अतिरिक्त आय है। इसे ध्यान रखकर समूह की सभी महिलाएं आगामी खरीफ सीजन में साग-सब्जी उत्पादन को बेहतर ढंग से करने के लिए दृढ संकल्पित हैं।

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