क्रिकेट ग्राउंड में तब्दील हो गई पुण्य सलिला इंद्रावती

अर्जुन झा-
जगदलपुर। जो इंद्रावती नदी बारहों माह कलकल बहती थी, आज खुद पानी के लिए तरस गई है।. पूरी तरह सूख चुकी पुण्य सलिला इंद्रावती अब क्रिकेट का मैदान बन गई है। युवा और बच्चे नदी के बीचोबीच क्रिकेट खेलते और ग्रामीण वहां बैठकर मैच का आनंद उठाते रहते हैं।
बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी का जलस्तर लगातार घटता जा रहा है। फरवरी माह से नदी लगभग जल विहीन सी हो गई है। यह पहले बस्तर के किसानों और स्थानीय लोगों के लिए जीवनदायिनी थी, अब खुद पानी के लिए तरस रही है।
इंद्रावती नदी में पानी न होने से बच्चे नदी के सूखे हिस्से को क्रिकेट पिच बनाकर खेल रहे हैं।

एनीकेट्स अनदेखी से आई समस्या
इंद्रावती नदी में बनाए गए सैकड़ों एनिकेट्स की अनदेखी की वजह से आज इंद्रावती नदी पानी के लिए मोहताज हो गई है। एनीकेट्स का समय समय पर मरम्मत न होने के कारण नदी का पानी बहता चला गया। अब स्थानीय लोग जोरानाला से पानी की आपूर्ति की मांग कर रहे हैं, ताकि नदी में पानी वापस आ सके।

किसान भी हैं परेशान
इंद्रावती नदी के सूखने से हजारों किसान परेशान हो गए हैं। स्थानीय किसान सोनू कश्यप और लक्ष्मण बघेल ने प्रशासन से सूख चुकी फसलों का मुआवजा देने और बची फसलों का बीमा कराने की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जोरा नाला से पानी की आपूर्ति नहीं की जाती है, तो सभी किसान और ग्रामीण राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्काजाम और धरना प्रदर्शन करेंगे।

नदी को लगी नेताओं की नजर
यह भी कहा जा रहा है कि नजारा देखने दिखाने के फेर में इंद्रावती नदी को नेताओं की नजर लग गई है।दरअसल नेताओं को चित्रकोट जलप्रपात का नजारा दिखाने के लिए नदी में जमा पानी बहाया गया।स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ महीने पहले चित्रकोट जलप्रपात को राज्य के और केंद्रीय नेताओं को दिखाने के लिए नदी के एनिकेट खोल दिए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप इंद्रावती नदी का पानी पूरी तरह सूख गया। इस राजनीति ने बस्तर के किसानों को भीषण जल संकट में डाल दिया है।

पशु- पक्षी भी संकट में
गर्मी के मौसम के शुरुआती दौर में ही इंद्रावती नदी के सूख जाने के कारण आसपास के किसानों को अपने पालतू मवेशियों के लिए पानी की व्यवस्था करने में कठिनाई हो रही है। मवेशियों को नहलाने और पिलाने के लिए पानी की बड़ी किल्ल्त हो गई है। वहीं वन्य प्राणियों और पक्षियों को भी पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।

समाज और पर्यावरण पर असर
इंद्रावती नदी का सूखना न सिर्फ किसानों और पशुओं के लिए संकट का कारण बन गया है, बल्कि यह क्षेत्र के पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव डाल सकता है। नदी के सूखने से बस्तर क्षेत्र में जल संकट गंभीर रूप से बढ़ सकता है और आने वाले दिनों में इसे लेकर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।यह संकट बस्तर के लिए एक गंभीर चेतावनी है और अब समय आ गया है कि प्रशासन इस मुद्दे को प्राथमिकता से हल करे, ताकि जल संकट से जूझ रहे किसानों को राहत मिल सके और बस्तर के पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सके।

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