एड्समेटा इनकाउंटर में दोषियों पर कार्यवाही एंव उचित मुआवजे की मांग को लेकर हजारो ग्रामीण गंगालूर में डटे

बीजापुर – जिले के एडसमेटा एनकाउंटर की वीके अग्रवाल कमेटी की न्यायिक जांच रिपोर्ट पर फैसला आ चुका है. इसी फैसले के बाद सारकेगुड़ा, सिलगेर और बस्तर में हो रहे नरसंहार के विरोध में बड़ी संख्या में इकठ्ठा हुए ग्रामीणों ने मूल निवासी बचाओ मंच के बैनर तले दो दिवसीय धरना प्रदर्शन एड्समेटा में किया। उसके बाद ग्रामीण हजारों की संख्या में शनिवार की शाम को गंगालूर पंहुचे और रविवार की दोपहर बीजापुर एसडीएम देवेश धुर्वे एंव एडिशनल एसपी पंकज शुक्ला ग्रामीणों से मिले लेकिन अधिकारियों की समझाइश के बाद भी ग्रामीणों ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर डटे रहने की बात कही।एडसमेटा के साथ-साथ सारकेगुड़ा और सिलगेर के दोषियों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। मृतको के पीड़ित परिजनों को सरकारी मुआवजा 1 करोड़ और घायलों को 50-50 लाख रुपए दिया जाना चाहिए।

बस्तर में पूर्व हुए नरसंहार को न्याय दिया जाए। इस तरह के नरसंहार पर तत्काल रोक लगाई जाए। दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई कर फांसी की सजा दी जाए। बस्तर के सभी वर्गों के आम नागरिकों को नक्सलियों के नाम पर परेशान करना बंद करें। सरकार खुले मंच पर वार्ता करें और जनता के साथ न्याय करें।
बीजापुर जिले के एडसमेटा में 4 नाबालिग समेत 8 ग्रामीणों की मौत हुई थी. जिसकी जस्टिस वीके अग्रवाल कमेटी ने न्यायिक जांच कर अपना फैसला सुनाया कि मारे गए लोग नक्सली नहीं थे. पूरे 8 लोग आम ग्रामीण थे. 17 मई 2013 को बीज त्यौहार मना रहे थे. पुलिस जवानों की गलत धारणा और घबराहट के चलते यह घटना घटित हुई है. न्यायिक जांच रिपोर्ट के अनुसार पूरी मुठभेड़ फर्जी थी. इस फर्जी मुठभेड़ के दोषियों पर कार्रवाई हो।

ग्रामीणों ने एसडीएम को दिया ज्ञापन –

रविवार को हजारों की संख्या में ग्रामीण गंगालूर पंहुचे इस दौरान उनके साथ समाजसेवी सोनी सोरी भी उपस्थित रही और बैठक के बाद ग्रामीणों ने एसडीएम देवेश धुर्वे को ज्ञापन देते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि मंडल आकर नही मिलेगा और हम पूरी तरह से अपनी मांगो को लेकर सरकार के प्रतिनिधि मंडल से आश्वस्त नही होंगे तब तक धरना जारी रहेगा

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